व्यक्ति जो देखता , सुनता, पढ़ता और महसूस करता है वैसी ही उसकी सोच हो जाती है जैसी उसकी सोच होती है वह वैसे ही कार्य करता है।
‘‘ बुरे विचारों से मुक्ति पाने का सिर्फ एक ही उपाय है और वह है कि अच्छे विचारों का अनुसरण करते रहना ‘‘ – स्वामी विवेकानंद
मनोविज्ञान के अनुसार इंसान उसी के बारे में सोच विचार करता है जो वह अपने आस पास देखता, सुनता, पढ़ता, और महसूस करता है।
अब जैसे उसके दिमाग में विचार आते हैं वैसा ही वह हो जाता है। वह अपने विचारों के अनुसार ही कार्य करता है।
हम सब सादारण मनुष्य हैं इसलिए हमारे लिए यह संभव नहीं है कि हम जो देखते हैं, सुनते हैं, उसके बारे में न सोचे ।
उदाहरण के तौर पर आप इस बात पर विचार कर सकते हो कि जो लोग गाँव में जन्में होते हैं और अपने जीवन का अधिकतम समय गाँव में ही बिताते हैं , उनकी सोच शहर वालों से अलग होती है।
और इसके अलावा वे लोग जो शहर में जन्में होते हैं और शहर के ही महौल में पले बढ़़े हैं उनकी सोच में अंतर होता है।
लगभग 99 प्रतिशत गाँव वालों की सोच एक जैसी होती हैं। वहीं शहर में जन्में लोगों की सोच एक जैसी होती है।
इसका सीधा – सीधा मतलब यह है कि हम जो देखते, सुनते और पढ़ते हैं उन्हीं से संबंधित हम विचार करते हैं और फिर वैसे ही हम बन जाते हैं।
इसलिए हमारे लिए यह महत्वपूर्ण हैं कि हम अपने दिमाग में क्या इनपुट कर रहे हैं क्योंकि जैसा हम इनपुट करेंगें वैसा ही हमारा दिमाग आउटपुट देगा।
यह तो आप जानते ही हो कि हमारा दिमाग एक मेमोरी कार्ड की तरह है । जो हम इसमें डालेंगें वही उसमें से बाहर आयेगा। इसलिए सबसे पहले हमें अपने दिमाग में वही डालना होगा जो हमारे लिए सही है।
हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हम अपने आस-पास क्या देख रहे हैं ? हम क्या सुन रहे हैं ? हम क्या पढ़ रहे हैं ? अगर हम कुछ ऐसा देख, पढ़ और सुन रहे हैं जो हमारे लिए उचित नहीं है तो बेहतर होगा हम उसका इनपुट लेना तुरंत बंद कर दे ।
मुझे याद है हमारे स्कूल के प्रिंसिपल सर सबसे ज्यादा इस बात पर ध्यान देते थे कि बच्चे वही देखे, सुने और पढ़े जो उन्हें बेहतर इंसान बनाये।
उनकी ऑफिस के बाहर व स्कूल के नॉटिस बॉर्ड पर यह हमेशा लिखा होता था कि
1 बच्चे वही बोलते हैं जो वे अपने से बड़ों से सुनते हैं।
2 बच्चे वही सीखते हैं जो उन्हें सीखाया जाता है।
3 बच्चे वही करते हैं जो वे अपने घर के बड़ों को करते देखते हैं।
4 बच्चे वैसे ही बन जाते हैं जैसा वे सोचते हैं।
5 97 % से अधिक बच्चे, जिस महौल में वे पले बड़े होते है बढ़े होकर वैसे ही बन जाते हैं ।
इसलिए यह बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है कि अगर आप सफल होना चाहते हैं तो आपको सफलता के बारे में पढ़ना होगा, सफल लोगों के बारे में जानना होगा।
सबसे पहले आपके अपने दिमाग में वह इनपुट करना होगा जो आपके सफलता के बारे में सोचने के लिए प्रेरित करे ।
आप अधिकतर समय सफलता के बारे में सोचे। आपका मन उगते हुये सूरज की कल्पना करे।
आपका दिमाग को आपको उन कार्यों को करने के लिए कहना होगा, जो आपको सफल बनायेंगे। आपको खुद को सफलता के लिए तैयार करना होगा। आपकी सफलता आप पर निर्भर करती है।
अगर आप यह जानने चाहते हो कि आप सफलता के मार्ग पर चल रहे हो या नहीं तब आप सफला के संकेत वाला आर्टिकल पढ़े ।
अपनी सोच बदलने के लिए अपने आस – पास के महौल को बदलना एक बेहतर विकल्प होता है । और आप अपने आस पास का महौल यानि की दूसरे लोगों को नहीं बदल सकते हो इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि अगर जिन लोगों के साथ से आपकी सोच खराब होती है उन लोगों का साथ बदल सकते हो।
हर कोई कहता है कि हमारी कामयाबी हमारी सोच पर निर्भर करती है और हमारी सोच उन सब पर निर्भर करती है जो हम देखते, सुनते, और पढ़ते हैं। इसलिए इस बात का विशेष ध्यान रखें कि आप अपने दिमाग में क्या इनपुट कर रहे हो।