उठो जागो और जब तक न रुको तब तक लक्ष्य की प्राप्ति न हो जाये। स्वामी विवेकानंद
सबसे बड़ा धर्म है अपने स्वभाव के प्रति ईमानदार होना। स्वामी विवेकानंद
पवित्रा, धैर्य और कड़ी मेहनत बड़ी सफलता के लिए सबसे महत्वपूर्ण है।
आप जैसे विचार करेंगे, वैसे आप हो जायेंगे। अगर अपने आपको निर्बल मानेंगे ताक आप निर्बल बन जायेंगे। और यदि आप अपने आपको समर्थ मानेंगे तो आप समर्थ बन जायेंगे। स्वामी विवेकानंद
एक अच्छे चरित्र और व्यक्त्तिव को निर्माण हजार बार ठोकरें खाने के बाद ही होता है।
आप भगवान पर जब तक विश्वास नहीं कर सकते, जब तक आप अपने आप पर नहीं करते ।
संभव की सीमा जानने का केवल एक ही तरीका है असंभव से भी आगे निकल जाना।
दुनिया मजाक करे या तिरस्कार उसकी परवाह किये बिना अपना कर्तव्य करते रहना चाहिए।
अपनी मद्द स्वयं करो तुम्हारी मद्द और कोई नहीं कर सकता । तुम खुद के सबसे बड़े दुश्मन हो, और खुद के सबसे अच्छे दोस्त भी।
हर एक कार्य जो हम करते हैं शरीर की हर हरकत, हर चलन, हमारी सोच का हर एक विचार हमारे मन पर एक अनोखी छाप छोड़ जाता है।
दिन में कम से कम एक बार जरूर खुद से बात करें। अन्यथा आप दुनिया के सबसे उत्कृष्ट उस व्यक्ति के साथ जो आपको सबसे अच्छी तरह जानता है और आपको जिसकी सबसे अधिक जरूरत होती है, उस व्यक्ति के साथ आप एक बैठक गवाह देंगे।
जितना बड़ा संघर्ष होगा , जीत उतनी ही शानदार होगी ।
जिस समय जिस काम के लिए प्रतिज्ञा करो, ठीक उसी समय पर उसे करना ही चाहिए, नहीं तो लोगों का विश्वास उठ जाता है।
एक विचार अपनाओ, अपने आप को उसके प्रति समर्पित कर दो, र्धर्यपूर्वक संघर्ष करते रहो, और आपका उदय अवश्य होगा।
लगातार पवित्र विचार करते रहो, बुरे संस्कारों को दबाने का यही एक मात्र समाधान है।
नेतृत्व करने वालों के शब्दकोशों में असंभव शब्द नहीं होता है । कितनी भी बड़ी चुनौतियाँ क्यों न हों, मजबूत इरादे और संकल्प से उन्हें सुलझाया जा सकता है।
हर एक अच्छी और सच्छी बात का पहले मजाक बनता है। फिर उसका विरोध होता है और अंत में उसे स्वीकार लिया जाता है।